(1) अचानक आए खर्चों के लिए इमरजेंसी फंड की तैयारी

जीवन में कभी भी कोई अनचाही स्थिति आ सकती है — जैसे स्वास्थ्य संकट, नौकरी जाना, घर की मरम्मत या पारिवारिक आपातकाल। ऐसे समय में अगर आपके पास कोई सुरक्षित राशि नहीं है, तो आपको कर्ज या दोस्तों-रिश्तेदारों से मदद लेनी पड़ सकती है। इसीलिए इमरजेंसी फंड बनाना एक बहुत जरूरी और समझदारी भरा कदम होता है।
🧠 इमरजेंसी फंड क्या है?
- यह एक अलग रखा गया पैसा होता है, जिसका उपयोग सिर्फ और सिर्फ अनियोजित आपात स्थितियों के लिए होता है।
- इसे कभी भी सामान्य खर्चों में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
🎯 कितनी राशि रखनी चाहिए?
- कम से कम 3 से 6 महीने के खर्च के बराबर फंड बनाना चाहिए।
- अगर आपकी मासिक जरूरत ₹25,000 है, तो कम से कम ₹75,000 से ₹1,50,000 का इमरजेंसी फंड तैयार करें।
🏦 इसे कहाँ रखें?
- सेविंग अकाउंट में रखें, लेकिन उस अकाउंट को ATM और UPI से लिंक न करें।
- आप FD, फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट या लिक्विड फंड का भी उपयोग कर सकते हैं।
📅 कैसे शुरू करें?
- हर महीने सैलरी से 10% राशि अलग रखें — चाहे ₹5000 या ₹1000 ही क्यों न हो।
- ऑटो-डेबिट सेट करें ताकि फंड धीरे-धीरे खुद बनता जाए।
📈 बढ़ाते रहें समय के साथ
- जैसे ही आपकी सैलरी बढ़े या कोई बोनस मिले, उसका एक हिस्सा इसमें डालें।
- सालाना समीक्षा करें और जरूरत के अनुसार फंड बढ़ाएं।
⚠️ क्या नहीं करें:
- इमरजेंसी फंड को निवेश या शॉपिंग के लिए इस्तेमाल न करें।
- इसे क्रेडिट कार्ड से रिप्लेस करने की गलती न करें — यह कर्ज है, सुरक्षा नहीं।
💡 अन्य सुझाव:
- परिवार के हर कमाने वाले सदस्य को अपना-अपना छोटा इमरजेंसी फंड बनाना चाहिए।
- घर में दो अलग-अलग इमरजेंसी फंड हो सकते हैं — एक मेडिकल जरूरतों के लिए और एक सामान्य आपदा के लिए।
इमरजेंसी फंड एक प्रकार की आर्थिक सुरक्षा कवच है जो आपको आत्मनिर्भर बनाती है और मानसिक शांति देती है। यह फंड आपको किसी भी कठिन समय में बिना किसी कर्ज या तनाव के स्थिति से निपटने की शक्ति देता है। इसे प्राथमिकता दें — भविष्य का तनाव वर्तमान की समझदारी से बचाया जा सकता है।
